लॉकडाउन की वजह से ज़्यादातर लोगों को घर से काम करना पड़ रहा है. अभी के दौर में घर से काम करने वालों के लिए इंटरनेट ने बेहद अहम भूमिका निभाई है. हालांकि, इसकी वजह से अपराध की प्रकृति भी बदल गई है और डरावनी बात ये है कि गृह मंत्रालय के डेटा के मुताबिक पिछले चार हफ्तों में साइबर क्राइम 86 प्रतिशत तक बढ़ा गया है.
फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स (फिक्की) द्वारा आयोजित किए गए एक वेबिनार में ये जानकारी साइबर लॉयर एंड एक्सपर्ट कनिका सेठ ने साझा की. वेबिनार के दौरान पूर्व सुप्रीम कोर्ट के जज मदन लोकर भी मौजूद थे. वर्क फ्रॉम होम से जुड़ी सावधानियों के बारे में बात करते हुए जस्टिस (रिटायर्ड) लोकुर ने ये भी बताया कि वो ख़ुद ऑनलाइन धोखाधड़ी का शिकार हो चुके हैं.
कनिका ने कहा, ‘ऐसा अपराध करने वाले नकली कोरोनावायरस की दवा से लेकर नकली रिचार्ज और नकली नेटफ्लिक्स सब्सक्रिप्शन का लिंक भेज के लोगों को फंसा रहे हैं.’ फिक्की का ये वेबिनार ‘वर्क फ्रॉम होम’ के दौरान ‘साइबर क्राइम’ के ख़तरे से जुड़ा था.
जस्टिस लोकुर ने कहा, ‘घर से काम करते समय बेहद सतर्क रहना ज़रूरी है. प्राइवेसी बहुत जरूरी है और आज के समय में कोई भी आपके सिस्टम में घुस सकता है. अमेरिका में अगर आपके ऑफिस ने आपको कोई सिस्टम दिया है तो आप उस पर निजी काम नहीं कर सकते और निजी सिस्टम से ऑफिस का काम नहीं कर सकते.’
उन्होंने ये भी कहा कि घर पर काम करने की स्थिति में लोग एक हार्ड डिस्क का इस्तेमाल करें और आपना डेटा उसमें सुरक्षित रखें. उन्होंने कहा, ‘जब आप अपने ऑफिस में होते हैं तो ऐसी संभावना होती है कि वहां सिस्टम में फॉयरवॉल होता है. ये वर्क फ्रॉम होम की स्थिति में नहीं होता जिससे ख़तरा बढ़ जाता है.’
जस्टिस लोकुर ने ये भी बताया कि वो एक बार ऑनलाइन वीज़ा स्कैम का शिकार हुए थे. उन्होंने कहा कि जब वो सुप्रीम कोर्ट के जज थे तो उनका कंप्यूटर भी हैक हो गया था. उन्होंने कहा कि उन्हें रिटायर हुए लंबा समय हो गया है फिर भी अभी तक उस मामले का कुछ नहीं हुआ.
उन्होंने फिर भी लोगों को शिकायत दर्ज कराने को प्रोत्साहित किया ताकि कभी न कभी दोषी पकड़ा जा सके. घर से काम करने की स्थिति में बरती जाने वाली सतर्कता के बारे में बोलते हुए कनिका ने जो उपाय सुझाए वो इस प्रकार हैं:
मज़बूत वाई-फाई नेटवर्क जैसे WPA2, WPA3 इस्तेमाल करें.
जब जरूरत न हो तो ब्लूटूथ और वाईफाई बंद कर दें.
एप्लिकेशन और सॉफ्टवेयर का अपडेटेड वर्ज़न का इस्तेमाल करें.
एंटी वायरस का इस्तेमाल करें.
किसी भी चीज़ पर क्लिक, फॉर्वरड और डाउनलोड करने से पहले पूरा ध्यान दें.
किसी एप या प्लेटफॉर्म के टर्म्स ऑफ़ यूज़ को ध्यान से पढ़ें.
बिज़नेस ओनर वर्क फ्रॉम होम पॉलिसी तैयार करें.
डाटा का बैकअप लगातार बनाते रहें.
वीपीएन का इस्तेमाल करें.
डेटा लॉस प्रिवेंशन का इस्तेमाल करें.
दूर से किसी समस्या की स्थिति को हल करने की तैयारी रखें.
सिक्योरिटी का समय-समय पर ऑडिट करते रहें.
डिजिटल सिग्नेचर के जरिए ऑनलाइन कॉन्ट्रैक्ट के डेटा को सेफ़ रखा जा सकता है. कानून से इसे मान्यता प्राप्त है. इसका इस्तेमाल करें.
उन्होंने कहा, ‘किसी तरह के ऑनलाइन अपराध के स्थिति में आईटी एक्ट- 2000 के सेक्शन 66, 66C, 66D और IPC 420 के तहत मामले दर्ज कराए जा सकते हैं. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच द्वारा दिया गया वो फ़ैसला भी ऐसे मामलों में सुरक्षा प्रदान करता है जिसमें निजता को मौलिक अधिकारी बताया गया है.’
धोखाधड़ी का शिकार होने की स्थिति में शिकायत दर्ज कराने का रास्ता सुझाते हुए उन्होंने कहा कि नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल पर जाकर भी शिकायत दर्ज़ कराई जा सकती है.