भारत सरकार ने अपने 48.34 लाख कर्मचारियों और कई कार्यालयों के लिए वर्क फ्रॉम होम को नियंत्रित करने वाले नियमों का एक मसौदा संस्करण जारी किया है। वर्क फ्रॉम होम को लेकर एक प्रस्ताव सभी मंत्रालयों को भेज दिया गया है।
कोरोना काल में संकटों की सूची लगातार बढ़ती जा रही है। स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था पर तो कोरोना ने ऐसा प्रहार किया है कि विश्व पूरा त्राहि-त्राहि कर रहा है। सदी की सबसे भयानक महामारी ने लोगों के भीतर डर का ऐसा नासूर स्थापित कर दिया है जिसका दशकों तक इलाज संभव नहीं है। लॉकडाउन के चलते काफी लोगों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है। जिनकी नौकरी बची है उनके पास वर्क फ्रॉम होम ही मात्र एक रास्ता बचता है। भारत सरकार द्वारा भी वर्क फ्रॉम होम को लेकर एक प्रस्ताव सभी मंत्रालयों को भेजा गया है।
वर्क फ्रॉम होम पर प्रस्ताव
केंद्र सरकार ने अपने 48.34 लाख कर्मचारियों और कई कार्यालयों के लिए वर्क फ्रॉम होम को नियंत्रित करने वाले नियमों का एक मसौदा संस्करण जारी किया है। यह मसौदा प्रोटोकॉल परामर्श और प्रतिक्रिया के लिए सभी मंत्रालयों को गया है। महीने के अंत तक दिशा-निर्देशों को अंतिम रूप दिए जाने की संभावना भी जताई जा रही है।
कितने सुरक्षित हैं ऐप्स
इस मसौदे में हर एक कर्मचारी को साल भर में 15 दिन के वर्क फ्रॉम होम की इजाजत देने की बात कही गई है।जाहिर है कि वर्क फ्रॉम होम में लोग ऐप्स के जरिए ही मीटिंगस और चैट करेंगे, ऐसे में इन ऐप्स की सिक्योरिटी काफी अहमियत रखती है। हाल ही में देखा गया है कि मीटिंग तथा ग्रुप चैट के लिए इस्तेमाल होने वाले ऐप्स से काफी बड़े तादाद में डाटा की ब्रीचींग हुई है। ऐसे में सरकारी कामों के लिए इन ऐप्स के इस्तेमाल पर संदेह उठना लाजमी है।
विशेषज्ञ की राय
हमने इस मसौदे पर साइबर सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर जानी मानी सायबर लॉयर और सायबर एक्सपर्ट करनिका सेठ से बात की। Parliamentary Business से बात करते हुए उन्होंने बताया कि वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क के द्वारा एक सिक्योर नेटवर्क तैयार किया जा सकता है जिससे डाटा ब्रीचिंग को कम किया जा सके। उन्होंने बताया कि पब्लिक की क्रिप्टोग्राफी( PKC ) द्वारा एक ऐसे नेटवर्क को स्थापित किया जाता है जिसके तहत पब्लिक और प्राइवेट डाटा दोनों के लीकेज का खतरा कम हो जाता है।
हालांकि उनका यह भी कहना था कि आज के जमाने में कोई भी नेटवर्क पूरी तरह से सेफ नहीं है। हर नई तकनीक में लूप होल होते हैं। इसका उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया की इतने एन्क्रिप्शन होने के बावजूद भी सरकारी संस्थाओं जैसे सीबीआई तक के साइट्स हैक हो जाते हैं, तो ऐसे में हाईली सेंसेटिव और क्लासिफाइड फाइल्स की सुरक्षा प्राथमिक होना जरुरी है। अभी भी हम एक्सपेरिमेंटल फेज में हैं तो फुल प्रूफ सिक्योरिटि के बारे में सोचना जल्दबाजी होगी।
करनिका सेठ ने यह भी बताया कि वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए आने वाले समय में वर्क फ्रॉम होम का महत्व और भी बढ़ जायेगा।